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मंगरोप क्षेत्र के प्रतिष्ठित लोग ही उजाड़ रहे श्मशान : जेसीबी,एलएंटी लगाकर रात दिन कर रहे बजरी स्टॉक व दोहन

मंगरोप क्षेत्र के प्रतिष्ठित लोग ही उजाड़ रहे श्मशान :  जेसीबी,एलएंटी लगाकर रात दिन कर रहे बजरी स्टॉक व दोहन

मंगरोप(मुकेश खटीक) मंगरोप सहित क्षेत्र के आसपास के कुछ जनप्रतिनिधि सहित अन्य प्रतिष्ठित लोग इन दिनों बनास नदी की बजरी से चांदी झूड़ने में लगे हुए है ये लोग बजरी दोहन करने में इतने व्यस्त हो गए है की इनकों श्मशान घाट तक का ख्याल नहीं रहा ये लोग दिन रात जेसीबी,एलएंटी लगाकर धड़ल्ले से शमशान कों खोदने में लगे हुए है जिन संसाधनों का उपयोग ये लोग बजरी कुरेदने में कर रहे है उससे यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं होगा केवल 15 दिन में ही शमशान से बजरी का नामों निशान तक नहीं रहेगा।अभी तो आलम यह है की निरंतर बजरी दोहन से बजरी स्त्रोत खत्म होने की कगार पर है जगह जगह गहरे गड्ढे हो गए है वही निकट भविष्य में मंगरोप व क्षेत्रवासियों के लिए शव का अन्तिम संस्कार करना भी दुभर हो जायेगा साथ ही मकान बनाने के लिए बजरी भी बाहरी क्षेत्रों से मंगवानी पड़ेगी।ग्रामीणों द्वारा शमशान से बजरी दोहन का विरोध करने पर उल्टे ग्रामीणों कों खरी खोटी सुननी पडती है एवं लड़ाई झगड़े पर उतारू हो जाते है।शमशान के आसपास कुछ दिनों पहले बजरी बहुतायात मात्रा में थीं यहां का रास्ता भी दुरुस्त है जिससे इनको बजरी सरलता से मिल जाती है एवं वहां आसानी से वाहन लगाकर बजरी भरने का कार्य हो सकता है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार एक जेसीबी और एलएंटी मशीन 24 घण्टे में करीब 300 से ज्यादा बजरी ट्रैक्टर भरने की क्षमता रखती है।इससे अनुमान लगाया जा सकता है की कितनी तीव्रता से शमशान उजड़ता जा रहा है इसके चलते क्षेत्र के लोगों कों क्षेत्र के सबसे बड़े जल स्त्रोत से हाथ धोना पड़ेगा।क्योंकि बनास नदी अपने भु भाग में भी जल स्त्रोत का नियमन करके बहती है बजरी के कारण ही नदी जल कों अपने भू-भाग में सहेजने में सक्षम है अगर नदी से बजरी यू ही नष्ट होती रही तो जल के लिए क्षेत्र के लोगों कों बड़ी भयावह स्थितियो का सामना करना पड़ेगा क्योंकि इस वर्ष वैसे भी बरसात सामान्य से भी कम ही हुई है जिससे बनास नदी में एक बार ही पानी की आवक हुई है।बनास नदी सदियों से क्षेत्र के लोगों की प्यास बुझाती आई है लेकिन नदी से बड़े पैमाने पर बजरी दोहन निकट भविष्य में क्षेत्रीय लोगों के लिए बड़ा जल संकट पैदा करने का दंश साबित हो सकता है।ग्रामीणों ने बताया की शमशान में हो रहे बजरी दोहन पर प्रशासन भी मुकदर्शक है जिससे बजरी माफिया इतने सक्रिय हो गए है की अब तो बिना किसी रोकटोक के  24 घण्टे शमशान से बजरी कुरेदने में लगे हुए है।रात में करीब 150 से 200 डम्पर गांव से होकर गुजरते है जिससे नवनिर्मित मेघा हाइवे जगह जगह से टूटने लगा है वही आसपास रहने वाले वासिन्दे भी इनके शोरगुल से परेशान होते है।